तुमसे मिलना तो एक पहल है
अभी तो बाकी पूरी ग़ज़ल है ।
मेरे इस मन को इंतजार है तेरा,
तू खिलता हुवा एक कवल है ।
अब जो भी सोचता हूँ,चाहता हूँ
हर बात में तेरा ही दखल है ।
झोपडी कब की नीलाम हो चुकी
अब बननेवाला यंहा महल है ।
तुझसे जीतना ही कब था मुझे,
तेरी जीत से ही मेरी हार सफल है ।
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