उनके साथ चलना चाहता था 
कुछ देर तक इसीलिए 
ज़रूरी हर काम 
कुछ समेटकर ,
कुछ छोड़कर चल दिया । 
फ़िर उनसे मासूम सा सवाल किया -
आप भी चल रही हैं ?
वो मेरी आंखो की शोधार्थी,
मुस्कुराती हुई बोली –
ज़रूरी हर काम कर लिया या फ़िर 
मुझे देखकर 
बस, सब छोड़कर आ गए । 
बात तो सच थी । 
काश मैं उसके लिए 
ज़िंदगी भर के लिए 
बस उसे देखकर 
सबकुछ छोडकर जा पाता । 
 
