बोध कथा ९ : दोस्ती
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एक दिन जब तबेले में सुबह-सुबह ताज़ा दूध निकाला जा रहा था,तभी दूध क़ी नजर सामने पड़े पानी से लबा-लब भरी बाल्टी पर गयी.पानी को देखते ही दूध ने इतरा कर कहा ,''कहो दोस्त ,क्या हाल है ?''. पानी का ध्यान दूध क़ी तरफ गया.उसने भी विनम्रता पूर्वक कहा,''ठीक हूँ दोस्त.बस तुम्हारा ही इन्तजार कर रहा था. अभी थोड़ी देर में ये लोग हम दोनों को मिलाकर एक कर देंगे.मै भी तुम्हारे ही रंग में रंग कर,तुम्हारा ही अंश बन जाऊँगा .'' दूध क़ी बात सुनकर पानी बोला,''हाँ भाई,तुम्हारी तो मजा ही मजा है. हो तो मामूली पानी लेकिन मेरे साथ मिलकर मेरे ही भाव में बिकते हो.तुम्हे अपने इस दोस्त का एहसान मानना चाहिए .'' यह बात सुनकर पानी थोडा संकोच में पड़ गया,लेकिन उसने तुरंत जवाब दिया कि,''मैं तुम्हारी बात मानता हूँ.तुम मुझे अपने में शामिल कर मेरा मूल्य बढ़ा देते हो.मै भी वचन देता हूँ क़ि जब भी तुम पर कोई खतरा आएगा ,पहले उस खतरे का सामना मै करूँगा.मेरे जीते जी कोई तुम्हारा बाल भी बाका नहीं कर सकेगा.''
इतने में तबेलेवाला वंहा आया और उसने दूध और पानी को मिलाकर एक ही कर दिया.थोड़ी देर में एक गाडी आयी और उसमे दूध को रख दिया गया. दूध को बेचने के लिए बाजार भेजा जा रहा था. बाजार में पूरा दूध थोडा-थोडा कर बेच भी दिया गया.लेकिन जंहा भी दूध गया ,वंहा उसे गर्म करने के लिए खरीदार ने गैस पे रख दिया. जब आग क़ि आंच दूध ने महसूस क़ी तो वह चिल्ला पड़ा,''अरे यह क्या ? इस तरह तो ये लोग हमे जला कर मार डालेंगे .अब हम क्या करें ?'' दूध क़ी बात को सुनकर उसमे मिले पानी ने कहा,''चिंता मत करो मित्र.जब तक मै तुम्हारे साथ हूँ ,तुम्हे कुछ नहीं होने दूंगा.अगर जलना ही है तो पहले मैं जलूँगा.''
यह कहकर पानी जलने लगता है. वह वाष्प बनने लगता है. अपने दोस्त क़ी यह हालत देखकर दूध का मन विचलित हो जाता है.वह पानी को अपने से दूर जाने से रोकने के लिए ,अपने मलाई क़ी एक मोटी परत पूरे बर्तन के ऊपर फैला देता है. परिणामस्वरूप पानी वाष्प के रूप में बाहर नहीं जा पाता और दूध में उबाल आ जाता है.उबाल को देख कर खारीदार भी गैस बंद कर देता है. इसतरह दूध और पानी सच्ची दोस्ती क़ी एक मिसाल सामने रखते हैं.वे अपने प्राणों क़ी भी परवाह नहीं करते.ऐसी दोस्ती के लिए ही किसी ने लिखा है क़ि-----
'' हर रिश्ते से बड़ा है,दोस्ती का रिश्ता
मत तोडना कभी,दोस्ती का रिश्ता ''
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Monday, 22 March 2010
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