जरूरी है मुलाक़ात समझा करो
नई -नई है शुरुआत समझा करो ।
सबकुछ कह तो नही सकता ,
दिल के जज्बात भी समझा करो ।
न नीद,न चैन,न करार है मुझे ,
सब मोहबत्त की सौगात समझा करो ।
ये सभी राजनीति के दांव-पेज हैं ,
इसके अजीब करामात समझा करो ।
यद्यपि है अँधेरा बहुत घना पर,
आएगा नया प्रभात भी समझा करो ।
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