जरूरी है मुलाक़ात समझा करो
नई -नई है शुरुआत समझा करो ।
सबकुछ कह तो नही सकता ,
दिल के जज्बात भी समझा करो ।
न नीद,न चैन,न करार है मुझे ,
सब मोहबत्त की सौगात समझा करो ।
ये सभी राजनीति के दांव-पेज हैं ,
इसके अजीब करामात समझा करो ।
यद्यपि है अँधेरा बहुत घना पर,
आएगा नया प्रभात भी समझा करो ।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित
डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित दिनांक 16 जनवरी 2025 को ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज ...
-
अमरकांत की कहानी -डिप्टी कलक्टरी :- 'डिप्टी कलक्टरी` अमरकांत की प्रमुख कहानियों में से एक है। अमरकांत स्वयं इस कहानी के बार...
-
कथाकार अमरकांत : संवेदना और शिल्प कथाकार अमरकांत पर शोध प्रबंध अध्याय - 1 क) अमरकांत : संक्षिप्त जीवन वृत्त ...
No comments:
Post a Comment
Share Your Views on this..