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Sunday, 16 August 2009

अभिलाषा -११


प्रेम भरे हर मन के अंदर,

मानवता के बीज पड़े ।

इर्ष्या,द्वेष,घ्रीणा,कुंठा से,

ऐसा मन अनजान प्रिये ।