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Tuesday, 1 September 2015

बनारसी पान


खान-पान-सम्मान में
अगुआ है बनारस
इसीलिए शायद 
कहते भी हैं कि
बनारस का रस
बना रहता है हमेशा ।
केशव ताम्बुल भंडार
नगवां रोड,लंका
बनारस में
किसे नहीं पता ?
मानों यह पता हो
बनारसीपन का ।
अटा पटा रहता है
यह सुबह से देर रात
आजकल
स्वच्छ भारत अभियान
से प्रभावित
ये पनवाड़ी भी
करने लगे हैं
कूड़ा कूड़ेदान में
फ़ेकने की अपील ।
वैसे फेकने में
बनारसी कब पीछे था ?
आज भी नहीं है
तो फेके जा रहे हैं
जिसे जहाँ भी
जैसा मिला मौका
कंही और नहीं तो
चाय की अड़ी
घाट की सीढ़ी
या फ़िर किसी
पान की दुकान पर ही
पूरे बनारस में ।
महुए के हरे
और गाढ़े पत्तों पर
पक्के मगही पान का बीड़ा
जिसमें चूने के साथ
मलाई सा भरपूर कत्था
भीगी सुपाड़ी
और बढ़ा दिया गया
बीड़ा आप के आगे
मानों
आप के सम्मान में
बनारस अपना
आतिथ्य भाव
भेंट कर रहा हो ।
बनारसी
पान की गिलोरी
सिगरा आप को बुला लेगी
तो मलाई पान गिलोरी
क्षीर सागर जैसी
किसी मिठाई की दुकान पर ।
पान के साथ
इन दुकानों पर
ज्ञान बटता भी है
और बघारा भी जाता है
कक्षाएँ लगें न लगें
लेकिन
बनारसी गुरु
जिसकी चाहें उसकी
ले ही लेते हैं -क्लास
बकैती के
पाठ्यक्रमानुसार ।
बनारसी पान
रस घोलता है
मुहँ में ही नहीं
जीवन में भी
पान खाने की
पूरी एक प्रक्रिया
यहाँ सामाजिक ताने बाने का
एक सनातन अंग सा है
बनारस में पान
जीवन का एक अंग सा है ।
मनीष कुमार
BHU

International conference on Raj Kapoor at Tashkent

  लाल बहादुर शास्त्री भारतीय संस्कृति केंद्र ( भारतीय दूतावास, ताशकंद, उज्बेकिस्तान ) एवं ताशकंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज़ ( ताशकं...