Showing posts with label अमरकांत क़ी कहानी कलाप्रेमी. Show all posts
Showing posts with label अमरकांत क़ी कहानी कलाप्रेमी. Show all posts

Sunday, 25 April 2010

अमरकांत क़ी कहानी कलाप्रेमी

  अमरकांत क़ी कहानी कलाप्रेमी :-
      कलाप्रेमी  कहानी सुमेर और सुबोध नाम दो व्यक्तियों के आपसी संवाद के आस-पास घूमती है। दोनों ही कलाकार हैं। सुमेर कुछ अधिक यथार्थवादी है। वह अवसर का लाभ उठाने में विश्वास रखता है। जब कि सुबोध अवसर विहीन स्थितियों में - गुस्से से भरा हुआ था। लोगों के व्यवहार का दोहरापन उसे सालता था। सुमेर जब उससे मिलने उसके घर आता है तो वह बड़े नाटकीय ढंग़ से अपने मन की सारी बात बता देता है। सुमेर को उसकी बातें अच्छी नहीं लगती। वह यह सोचता है कि जब सारी दुनियाँ अवसरवादी बनी हुई है तो आदर्शो की बातें करनेवाला एक कमजोर व्यक्ति ही माना जायेगा।
      मेरे मिसेज रंजन की मदद से प्रादेशिक कला संघ का सदस्य बन गया था। वह पहली मीटिंग में भाग लेने आया था। पूरी प्रक्रिया उबाऊ और हंगामे भरी थी। जो प्रस्ताव पास होनेवाले थे वे पास ना हो सके। मीटिंग में आकर सुमेर ने कुछ नए दोस्त बनाये। कई लोगों से उसे लुभावने आस्वाश्न दिये। इन सभी के बीच वह वापस ट्रेन पकड़कर घर की तरफ लौट पड़ा। उसे यह समझ आ गया था कि वह दुनियाँ के साथ चल रहा हैं।
 
 

तेन त्यक्तेन भुञ्जीथाः मा गृधः कस्यस्विद्धनम्॥

ChatGPT said: "तेन त्यक्तेन भुञ्जीथाः मा गृधः कस्यस्विद्धनम्॥" —  ईशावास्योपनिषद् , मन्त्र 1 का अंतिम खण्ड मूल श्लोक: Copy code ईश...