चंद शब्दों की कहानी नहीं होती ;
कुछ पलों की जवानी नहीं होती /
जिंदगी तो यूँ भी गुजर जायेगी लेकिन ;
बिना मोहब्बत के जिंदगानी जिंदगानी नहीं होती /
-----------------------------------------------
-----------------------------------------------
आज फिर तमन्नावों ने पंख फैलाये हैं ,
आज फिर खवाबों ने तेरी झलक पाए हैं ;
महफ़िल सजाई है अपनी तन्हाई की ,
आज फिर यादों ने बेवफाई की है ;
आज गुरेज कैसे करते हया से तेरी दूरी का ,
ये रास्ते तो हमने ही तुम्हें दिखाएँ हैं /
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित
डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित दिनांक 16 जनवरी 2025 को ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज ...
-
अमरकांत की कहानी -डिप्टी कलक्टरी :- 'डिप्टी कलक्टरी` अमरकांत की प्रमुख कहानियों में से एक है। अमरकांत स्वयं इस कहानी के बार...
-
कथाकार अमरकांत : संवेदना और शिल्प कथाकार अमरकांत पर शोध प्रबंध अध्याय - 1 क) अमरकांत : संक्षिप्त जीवन वृत्त ...
sahi farmaya.......chand shabdon ki kahani nhi hoti.
ReplyDeletebahut khoob kaha aapney!!!
ReplyDelete