तुम से 
 तुम ही को चुराने क़ी आदत में  
 जो कुछ बातें शामिल हैं 
 वो हैं -
 तुमसे मिलना
     तुम्हे देखना 
  तुमसे बातें  करना  
 और जब ये संभव  न हों तो 
  तुम्हें सोचना 
  तुम्हें महसूस करना  
  या कि   
तुम पर ही कविता लिखना
 तुम  
अब मेरे लिए  
जीवन की एक अनिवार्य शर्त सी हो 
 तुम एक आदत हो 
 तुम परा-अपरा के बीच 
 मेरे लिए संतुलन का भाव हो  
तुम जितना ख़ुद की हो ,
 उससे कँही अधिक 
 मेरी हो।   
हो  ना  ?
 
