उन्हें शिकायत
है कि
मैं उनकी
हर बात मान लेता हूँ
उन्हें
अक्सर याद करता हूँ
वो जब
भी बुलाती हैं
हर काम
छोडकर चला जाता हूँ
वो कहती
हैं –
तुम्हें
कुछ काम नहीं रहता क्या ?
जब देखो
कहते हो –
तुम्हें
ही याद कर रहा था
जब भी
मिलने की बात हो-
झट से मान जाते हो
मैं जानता
हूँ कि
उनकी यह
शिकायत
दरअसल
एक शरारत है
प्यार
में
मिठास
बढ़ाती
तीखी सी
शरारत ।