अमरकांत के उपन्यास :
अमरकांत ने कहानियों के अतिरिक्त कई उपन्यास भी लिखे। एक उपन्यासकार के रूप में अमरकांत को उतनी प्रतिष्ठा नहीं मिली जितना की एक कहानीकार के रूप में। अब इसका कारण तय कर पाना बड़ा मुश्किल है। कहानियों के संदर्भ में एक ही लेखक को अच्छा और उपन्यासों के संदर्भ में उसे बुरा कह देना तर्कसंगत नहीं लगता। फिर भी कारणों की पड़ताल आवश्यक है। अत: जब मैंने अमरकांत से साक्षात्कार के दौरान यह प्रश्न किया कि आखिर उनकी कहानियों की तुलना में उनके उपन्यास मशहून क्यों नही हुए तो अमरकांत ने स्वयं कहा कि, ''उपन्यास 'सूखा पत्ता` छोड दे तो, बाकी सभी उपन्यास जल्दी जल्दी में लिखे। उन्हे लिखने में पूरी एनर्जी नहीं लगी। पूरी एनर्जी कहानियों में लगी। उपन्यास पैसों के लिए लिखे। जीवन से संघर्ष के निचोड़ के तौर पर कोई उपन्यास नहीं लिखा। पहले तो लोग स्वीकार ही नहीं करते थे उपन्यासकार के रूप में। लेकिन अब काफी चर्चा हो रही है। एक कारण उपन्यासों के चर्चित न होने का यह रहा कि कुछ हमनें खुद प्रकाशित की। उनका डिस्ट्रीब्युशन नहीं हो पाया। वैसे भी उपन्यासों की समीक्षा दृष्टि उतनी विकसित नहीं हुई है। चर्चा हो रही है। यह कोई टेम्पररी फेज नही है। चर्चाएँ होती रहती हैं। आगे भी होंगी.....।``12
अमरकांत का यह विश्वास सम् सामायिक परिस्थितियों में सही भी लगता है। इधर अमरकांत के उपन्यासों की भी चर्चाएँ हो रही हैं। 'इन्ही हथियारों से` जैसे उपन्यास इसका प्रमाण हैं। उपन्यासकार के रूप में अमरकांत की जाँच पडताल के लिए यह आवश्यक है कि हम उनके उपन्यासों का गहन अध्ययन करें। यहाँ पर हम अमरकांत के सभी उपन्यासों का संक्षेप में परिचय प्राप्त करेंगे। उन उपन्यासों का भी जो किसी पत्रिका विशेष में 'उपहार अंक` के रूप में प्रकाशित हुए। लहरें उनका ऐसा ही एक उपन्यास है। यह अभी तक स्वतंत्र पुस्तक के रूप में प्रकाशित नहीं हुआ है। किंतु कादम्बिनी पत्रिका के उपहार अंक (अक्टूबर 2005) में यह प्रकाशित हो चुका है। हाल ही में बया नामक पत्रिका में उनका एक और उपन्यास -बिदा क़ी रात भी प्रकाशित हो चुकी है .
इस तरह अमरकांत के अब तक प्रकाशित कुल ११ उपन्यासों क़ी जानकारी हमारे पास है .
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Tuesday, 27 April 2010
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