Showing posts with label poem/hindi love poem. Show all posts
Showing posts with label poem/hindi love poem. Show all posts

Sunday, 13 February 2011

क्योंकि अब भी तेरा ही सामान हूँ ./

अजीब सी आदत से परेशान हूँ 
तुम्हे  सोच -सोचकर  हैरान  हूँ 


जो था,वो सब कुछ तुम्हे दे दिया,
अब बाजार क़ी एक बंद दुकान हूँ .


अब भी बहुत याद आती हो तुम,
सोचो  तो , कितना   नादान    हूँ . 




अकेला हूँ, आज इस वलेंटाइन  डे पर ,



क्योंकि अब  भी   तेरा ही  सामान हूँ .



लास्लो क्रास्नाहोर्काई : 2025 के नोबेल पुरस्कार विजेता हंगेरियाई लेखक

 लास्लो क्रास्नाहोर्काई : 2025 के नोबेल पुरस्कार विजेता हंगेरियाई लेखक  बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में जब विश्व साहित्य ने उत्तर-आधुनिक य...