कल रात इन पहाड़ों पे जम के
बरसात हुई
सुबह कोहरे की चादर लपेटे,देवदार
अलसाये दिखे ।
हवाओं में घुली गुलाबी ठंड
और ,
कली- कली में एक शर्माती सी
शरारत दिखे ।
अपने आप में लिपटे-सिमटे लोग
,
कुछ निखरते तो कुछ लोग तरसते
से दिखे ।
फूल,तितली
और स्कूल जाते हुए बच्चे,
सब के सब मुझे ,
मुसकुराते से दिखे ।
अपनी साँसो में सिगरेट की गर्मी
लिए ,
हम भी किसी की याद में खोये
से दिखे ।