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Thursday, 18 February 2010

नयनो से नयनो की बातें ,

नयनो से नयनो की बातें ,
काजल से गहराती रातें,
तिल आखों पे नूर बडाता ,
आखों आखों में तू इतराता ,
मुस्कान तेरी कितनी व्याकुल है ,
आन तेरी मन का कातिल है ,
चेहरे पे तेरी दुविधा रहती है ,
दिल में प्यास छिपी मरती है ,
चंचल चितवन से सपने झरते ,
उलझे दिल से ख्वाब ठहरते ;
आखों में तेरे प्यार की गंगा ,
फिर क्या सोचे और क्यूँ रुकना ,
क्यूँ खुद के अरमानो से लड़ना ,
प्यार के लम्हे कितने मिलतें है ,
हम उनमे भी क्यूँ रुकते है ,
मोहब्बत भी पूजा है यारों ,
ये भी भाव अजूबा है प्यारो /


डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित

 डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित  दिनांक 16 जनवरी 2025 को ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज ...