कभी-कभी जो मिलना हो जाता है
बस उतना ही तो जीना हो जाता है ।
मेरी इन खामोश तनहाइयों में,
उसका दबे पाँव आना हो जाता है ।
ख़ुद के हालात पे क्या कहूँ ,
बस जीने के लिए जीना हो जाता है ।
तेरे इश्क़ के बहाने ही सही ,
रोज़ पीना - पिलाना हो जाता है ।
जब तु ने छू लिया तो यक़ीन आया ,
पारस छूने से, लोहा सोना हो जाता है ।
बस उतना ही तो जीना हो जाता है ।
मेरी इन खामोश तनहाइयों में,
उसका दबे पाँव आना हो जाता है ।
ख़ुद के हालात पे क्या कहूँ ,
बस जीने के लिए जीना हो जाता है ।
तेरे इश्क़ के बहाने ही सही ,
रोज़ पीना - पिलाना हो जाता है ।
जब तु ने छू लिया तो यक़ीन आया ,
पारस छूने से, लोहा सोना हो जाता है ।