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Monday, 19 October 2009

लूट लूट लूट ,

लूट लूट लूट ,
लूट रहा है हर कोई जो सकता है लूट ;
लूट लूट लूट ;
नेता लुटे है वादों से ;
अफसर लुटे हैं इरादों से ;
पत्रकार लूटता है शब्दों से ;
कवी लूटता है अर्थों से ;
अपने लुटे है जज्बों से ;
रिश्तेदार लूटता है कर्मों से ;
लूट लूट लूट ;
लूट रहा है हर कोई जो सकता है लूट ;
समाज लूटता है दिखावे से ;
सम्बन्ध लूटता है भावों से ;
दोस्तों ने यारी से लूटा ;
चालाकों ने तीमारदारी से लूटा ;
प्यार लूटता है अरमानो से ;
परिवार लूटता है अहसानों से ;
किस किस से कब तक है बचना ;
ये कैसा है है जीवन अपना ;
आ ख़ुद को लूटें इच्छावों से ;
भगवन को लुटे कामनावों से ;
लूट लूट लूट ,
लूट रहा है हर कोई जो सकता है लूट ;

Saturday, 19 September 2009

आस्था की चुनौतियाँ हैं ;

आस्था की चुनौतियाँ हैं ;
बिखरी संस्कृतियाँ हैं ;
अवमाननावों की संकुचित राजनीती है ;
तड़पती इंसानो की स्मृति है ;
धर्मान्धता तर्क की आहुति बनी है ;
सज्जनता मौन की वाहक बनी है ;
क्यूँ न मरे हम तुम इस महफ़िल में ;
चिल्लाहट ,तोड़ फोड़ ,खून खराबा ,
सच्चाई की मानक बनी हैं /