Showing posts with label उज़्बेकिस्तान में हिंदी. Show all posts
Showing posts with label उज़्बेकिस्तान में हिंदी. Show all posts

Tuesday, 11 February 2025

उज़्बेकिस्तान में हिंदी

 विश्व हिन्दी दिवस कार्यक्रम


                 भारतीय राजदूतावास ताशकंद,उज़्बेकिस्तान की तरफ से विश्व हिन्दी दिवस के उलक्ष्य में कई महत्वपूर्ण और सफ़ल कार्यक्रम आयोजित हुए । मंगलवार दिनांक 17 दिसंबर 2024 को उज़्बेकिस्तान की राजधानी ताशकंद में एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय परिसंवाद संपन्न हुआ। भारतीय दूतावास ताशकंद एवं ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज के संयुक्त तत्त्वावधान में यह परिसंवाद आयोजित किया गया। परिसंवाद का मुख्य विषय था "हिंदी सिनेमा की वैश्विक लोकप्रियता और राज कपूर" । इस अवसर पर यूजीसी केयर लिस्टेड शोध पत्रिका 'अनहद लोक' के राज कपूर विशेषांक का लोकार्पण भी किया गया। इस अंक का सम्पादन ICCR हिन्दी चेयर के विजिटिंग प्रोफेसर डॉ. मनीष कुमार मिश्रा एवं ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज की हॉयर स्कूल विभागाध्यक्ष डॉ. निलुफ़र खोजाएवा ने किया ।  वर्ष 2024 कद्दावर फ़िल्म अभिनेता राज कपूर का जन्म शताब्दी वर्ष था । हाल ही में भारत के आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने कपूर परिवार से बातचीत करते हुए कहा था कि, ‘’राज कपूर की 100वीं जयंती का उत्सव भारतीय फिल्म उद्योग की स्वर्णिम यात्रा की गाथा का प्रतीक है। मध्य एशिया में भारतीय सिनेमा के लिए मौजूद अपार संभावनाओं को भुनाने की दिशा में काम करने की जरूरत है, मध्य एशिया में नई पीढ़ी तक पहुंचने के प्रयास किए जाने चाहिए ।‘ उनकी कही हुई बात को ध्यान में रखकर हम ने सफलता पूर्वक यह आयोजन किया एवं राज कपूर विशेषांक के रूप में इसका दस्तावेज़ीकरण भी किया । 

              ताशकंद में हिन्दी अध्ययन अध्यापन से जुड़े लाल बहादुर शास्त्री स्कूल, ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज, द यूनिवर्सिटी ऑफ वर्ड इकॉनमी अँड डिप्लोमसी तथा उज़्बेकिस्तान स्टेट वर्ड लैंगवेजेज़ यूनिवर्सिटी में क्रमश: दिनांक 16,17,28 और 29 जनवरी को विश्व हिन्दी दिवस के उलक्ष्य में कई प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया एवं सभी प्रतिभागी छात्रों को प्रमाणपत्र एवं भेट वस्तुएँ प्रदान की गईं ।  कुल 150 से करीब हिन्दी छात्रों को भारतीय राजदूतावास ताशकंद की तरफ से सम्मानित किया गया । विश्व हिन्दी दिवस के इन्हीं आयोजनों में हिन्दी अध्ययन अध्यापन से जुड़े  शिक्षकों एवं प्राध्यापकों को भी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित किया गया । उज़्बेकिस्तान में हिन्दी अध्ययन अध्यापन से जुड़े शोध छात्रों, शिक्षकों एवं प्राध्यापकों के विचारों को डिजिटल स्वरूप में संरक्षित करने एवं भारतीय  ज्ञान परंपरा के महत्वपूर्ण साहित्य को उज़्बेकी भाषा में अनुवादित करने की महती योजना भी भारतीय राजदूतावास ताशकंद के प्रयासों से शुरू की गयी है । 

उज़्बेकिस्तान में हिन्दी अध्ययन अध्यापन की एक समृद्ध परंपरा है। ताशकंद के लाल बहादुर शास्त्री स्कूल में कक्षा पांच से कक्षा 11 तक हिन्दी अनिवार्य भाषा के रूप में पढ़ाई जाती है। लगभग 600 उज़्बेकी छात्र यहां हिन्दी पढ़ते हैं। पूरे मध्य एशिया में हिन्दी अध्ययन का यह सबसे बड़ा केंद्र है। यहां हिन्दी के कुल आठ शिक्षक कार्यरत हैं।नोसिरोवा दिलदोरा,कासिमोव बहतियोर, जोरायेवा मुहब्बत ,अब्दुरहमानोवा निगोरा ,तुर्दीओखूनोवा मुहैयो,कुर्बोनोवा ओज़ोदा,कोदीरोवा बख़्तीगुल और मिर्ज़ामुरोदोवा मख़फ़ूज़ा यहां हिन्दी अध्यापन का कार्य करती हैं।

विश्वविद्यालय स्तर पर हिन्दी में स्नातक, परास्नातक और phd करने की व्यवस्था ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज में है । यहां करीब 12 प्राध्यापक हिन्दी अध्यापन कार्य से जुड़े हैं। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) के हिन्दी चेयर के माध्यम से भारतीय प्राध्यापक भी यहां विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में कार्य करते रहे हैं। वर्तमान में डॉ मनीष कुमार मिश्रा यहां हिन्दी चेयर पर कार्यरत हैं। डॉ.निलूफर खोजाएवा,प्रो.उल्फतखान मुहिबोवा, डॉ.तमारा खोजाएवा, डॉ.सिराजुद्दीन नुरमातोव, डॉ.मुखलिसा शराहमेतोवा और डॉ.कमोला रहमतजानोवा जैसे उज़्बेकी हिन्दी प्राध्यापकों का हिन्दी के प्रति समर्पण महत्वपूर्ण है।

वर्तमान में करीब 200 छात्र अकेले इसी विश्वविद्यालय में हिंदी सीख रहे हैं।  इसके अतिरिक्त द यूनिवर्सिटी ऑफ वर्ड इकॉनमी अँड डिप्लोमसी तथा उज़्बेकिस्तान स्टेट वर्ड लैंगवेजेज़ यूनिवर्सिटी में भी स्नातक स्तर पर हिन्दी भाषा पढ़ाई जाती है। लाल बहादुर शास्त्री भारतीय संस्कृति केंद्र, ताशकंद में भी हिंदी अध्ययन की व्यवस्था है। वरिष्ठ हिन्दी प्राध्यापक श्रीमान बयात रहमातोव एवं श्रीमती मुहाय्यो तूरदीआहूनोवा यहां वर्तमान में कार्यरत हैं। उज़्बेकी हिन्दी शब्दकोश के निर्माण में श्रीमान बयात रहमातोव का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

  

 डॉ मनीष कुमार मिश्रा 








What should be included in traning programs of Abroad Hindi Teachers

  Cultural sensitivity and intercultural communication Syllabus design (Beginner, Intermediate, Advanced) Integrating grammar, vocabulary, a...