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एक पुस्तक संस्मरण के रूप में लिखा। इस पुस्तक में अमरकांत ने अपने बचपन से लेकर अपने लेखक बनने की पूरी कथा को विस्तार से लिखा है। अमरकांत को समझने में यह पुस्तक बहुत ही सहायक है। इस पुस्तक का शीर्षक व प्रकाशन वर्ष निम्न प्रकार है।
(1) कुछ यादें कुछ बातें
प्रथम संस्करण - सन् 2005
प्रकाशन - राजकमल प्रकाशन
अमरकांत ने बाल साहित्य भी भरपूर लिखा है। उनके द्वारा लिखित बाल साहित्य की कुल पुस्तकें निम्नलिखित हैं।
(1) नेउर भाई
(2) बानर सेना
(3) खूँटा में दाल है
(4) सुग्गी चाची का गाँव
(5) झगरूलाल का फैसला
(6) एक स्त्री का सफर
इन सभी पुस्तकों का प्रकाशन 'कृतिकार` प्रकाशन के माध्यम से इलाहाबाद से हुआ है। अमरकांत का कथा साहित्य बड़ा व्यापक है। अमरकांत के उपन्यासों की चर्चा उतनी नहीं हुई जितनी की उनकी कहानियों की हुई है। इस पर स्वयं अमरकांत का कहना है कि, ''...... चर्चा तो हुई है। लेकिन उपन्यास 'सूखा पत्ता` छोड़ दे तो बाकी मैंनें बहुत जल्दी-जल्दी लिए। उनमें 'पूरी एनर्जी` नहीं लगी। इनमें से बहुत पैसों की जरूरत पर लिखे। जीवन से संघर्ष और फिर संघर्ष के निचोड़ के तौर पर ये कृतियाँ नहीं लिखी। पहले तो लोग स्वीकार नहीं करते थे लेकिन अब लोग मानते हैं कि ये उपन्यासकार भी हैं। वैसे चर्चा न होने का एक कारण यह भी रहा कि इनमें से कुछ हमनें प्रकाशित किया जिससे 'डिस्ट्रिब्युशन` बराबर हो नहीं पाया। एक कारण यह भी है कि आलोचकों ने अपना एक ढर्रा बना लिया है। बहुत से उपन्यास वे समझ नहीं पाते हैं। उपन्यास आलोचना की समीक्षा दृष्टि उतनी विकसित नहीं हुई। उपन्यासों की आलोचना व्यापक तरीके से जीवन को देखते हुए होनी चाहिए। वैसे इधर उपन्यासों की भी चर्चा हो रही है।.......।``1
बात सच भी है। अमरकांत के उपन्यासों की इधर काफी चर्चा हुई है। अमरकांत के कथा साहित्य का एक समग्रावलोकन जरूरी है। हाँ कहानियों, उपन्यासों के साथ-साथ उनके द्वारा लिखित बाल-साहित्य का भी। इससे कथाकार के रूप में अमरकांत के संपूर्ण व्यक्तित्व को समझना आसान हो जायेगा।