खुशकिस्मत कितना ये मेजबान है ।
तुम्हारे घर उर्दू,मेरे घर में हिन्दी,
फ़िर भी मोहब्बत का अरमान है ।
मुहमांगी कीमत चुकाने के बाद,
लड़की का बाप करता कन्यादान है ।
हर ग़लत बात पे आवाज उठाओ ,
कदम हर कदम तुम्हारा ही नुक्सान है । ।
लाल बहादुर शास्त्री भारतीय संस्कृति केंद्र ( भारतीय दूतावास, ताशकंद, उज्बेकिस्तान ) एवं ताशकंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज़ ( ताशकं...
आपके, मेरे ब्लॉग से जुड़ने पर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हुई. में आपका आभारी हूँ. मुझे आशा है की आप जब भी मेरे ब्लॉग पर आयेंगे, प्रसन्न होने का कोई न कोई कारण ज़रूर पाएंगे.
ReplyDeleteतुम्हारे घर उर्दू,मेरे घर में हिन्दी,
ReplyDeleteफ़िर भी मोहब्बत का अरमान है ।
अच्छी पंक्तिया... और बढ़िया रचना..... बहुत दिनों बाद आपको पढ़ रहा हूँ, इतनी अच्छी रचना पढ़ी मजा आ गया...
आपको और आपके पुरे परिवार को वैशाखी की हार्दिक शुभ कामना !
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