राम दरश मिश्र तो वैसे किसी परिचय के मोहताज नहीं है । फिर भी मै उनका परिचय देना चाहूँगी । मिश्र जी प्रेमचंदोत्तर युग के बहुमुखी प्रतिभा संपन्न कलाकार है ।
वे श्रमशक्ति के प्रतिक है । उनकी रचनाए आसाधरण पुरुषार्थ के मनोबल एवम अनुशासित कार्य प्रणाली का परिणाम है । एक मान्यता प्राप्त कवि होने के साथ - साथ एक बहुत अच्छे लेखक भी है ।
उनकी कहानिया और उपन्यास मै इतनी सचाई है कि उसे पढ़नेके बाद किसी भी इंशान का हिर्दय द्रवित हो जाय। उनका उपन्यास पानी के प्राचीर , जल टूटता हुआ और उनके कई उपन्यास है जिसे पढ़ने पर व्यक्ति मजबुर हो जाय सोचने पर कि हमारी गाँव की क्या हालत है। गाँव मे सुधार करने बहुत ही जरुरत है। मिश्र जी ने इतनी गंभीर समस्याओ को पाठको के समक्ष रखा है की शायद ही किसी का ध्यान उन समस्याओं पर जाय ।
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Wednesday, 3 March 2010
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