महाराष्ट्र मे महाविद्यालयीन शिक्षको की अनिश्चितकालीन हड़ताल को २० दिन से अधिक होने जा रहा है,लेकिन सरकार के कान पे अभी तक जू नही रेंग रही है । खैर ठीक भी है ,आज की राजनीति मे शिक्षको की औकात ही क्या रह गयी है ? इनकी सेवा कोई अति आवश्यक सेवा तो है नही,फ़िर २० दिन क्या और २००० दिन क्या । ये शिक्षक जो काम करते हैं उससे देश का वर्तमान और भविष्य कन्हा प्रभावित होता है ?
ऐसा शायद महाराष्ट्र सरकार अभी तक सोच रही है ,इसी लिए २००६ मे लागू होने वाले वेतनमान को अभी तक लागू नही कर पायी । वह यह भूल गयी है की
जिस देश का शिक्षक भूखा होगा,
वहा ज्ञान का सागर सूखा होगा ।
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