शमा उदात्त है
भावों में काम व्याप्त है
तनहाई बिन तेरे
तरसी हर बात है
शमा उदात्त है
भवरे चहके
पराग हैं बहके
नाचे मोर
अभिलाषाएं दहके
पर्वत प्यासा
प्यासी नीर
हवा प्रेमातुर
उमंगें अधीर
गहरी सांसे
कामी सपने
चंचल मन
मचला बदन
तीव्र पिपाशा
तन भी प्यासा
रोक रहा मै
क्या क्या जिज्ञासा
शमा उदात्त है
भावों में काम व्याप्त है
तनहाई बिन तेरे
तरसी हर बात है