जो कहना था पहले ,
वो अब तक ना कह पाए .
संग-संग रहते थे घर में,
पर दिल में ना रह पाए .
सात जन्म का वादा करके,
सात कदम ना चल पाए .
प्यार बना समझौता कैसे ?
ये बात समझ ना पाए.
साथ सफ़र में दोनों थे पर ,
साथी ना बन पाए .
अंदर ही अंदर घुट कर,
दो-चार कदम चल पाए.
जिसके बिन जीना मुश्किल था,
साथ उसी के ना जी पाए .
इश्क क़ी राह पे चल के भी,
हम इश्क समझ ना पाए .
जो कहना था ----------------------------
(इस गीत क़ी पहली कड़ी भाई सुनील सावरा ने डी थी. वो इसे पूरा करना चाहते थे. मैंने अपनी तरफ से एक कोसिस क़ी है.शायद उन्हें पसंद आये.)
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