तुझे चाहा मगर कह नहीं पाया यारा
अपना हो कर भी रह गया पराया यारा
पास था यूँ तो तेरे बहुत लेकिन,
प्यासा मैं दरिया पे भी रह गया यारा .
जिन्दा हूँ सब ये समझते हैं लेकिन,
मुझे मरे तो जमाना हो गया यारा .
अब आवाज भी लंगाऊं तो किसको,
मेरा अपना तो कोई ना रहा यारा.
सालों से तेरी यादों से ही ,
मैंने खुद को ही जलाया यारा .
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Saturday, 30 January 2010
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ताशकंद संवाद: उज़्बेकिस्तान से प्रकाशित पहली ई पत्रिका
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