आज 9 फरवरी 2012 को ,
जीवन के तीस वसंत के बाद
जब पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो
कई मुस्कुराते चेहरों को पाता हूँ ।
लगभग हर आँख में ,
अपने लिए प्यार पाता हूँ ।
अपने लिए इंतजार पाता हूँ ।
कुछ अधूरे सपनों की कसक पाता हूँ ।
संतोष और अपार सुख पाता हूँ ।
फिर जब आगे देखता हूँ तो
कईयों की उम्मीद देखता हूँ ।
कई-कई अरमान देखता हूँ ।
वादों का भरी बोझ देखता हूँ ।
किसी को खुश, किसी को नाराज देखता हूँ ।
फिर जहां खड़ा हूँ
वहाँ से आज तीस वसंत बाद,
जब खुद को आँकता हूँ तो ,
उस परम सत्ता की कृपा के आगे
नत मस्तक होते हुए
इस जीवन के लिए धन्यवाद देता हूँ ।
और प्रणाम करता उन सभी को जिनहोने ,
मुझे अपने प्रेम और घृणा
विश्वास और अविश्वास
आशीष और श्राप
इत्यादि के साथ
अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया और
आज जीवन के इस पड़ाव पर ,
मेरे लिए अपार सुख और संतोष के नियामक बने ।
आभारी हूँ मैं सभी का ।
आभारी हूँ उसका भी जो ,
मेरे अंदर मेरी बनकर रहती है ।
मेरे अंदर शक्ति का संचार करती है ।
वो जिसकी गर्मी प्राणवायु सी लगती है ।
वो जिसके लिए,
दुनिया को सुंदर बनाने का मन करता है ।
जिसके लिए सब कुछ सहने का मन करता है ।
वो जो सुंदर है ,
वही मेरा सत्य है ।
ये वही है जो ,
सब कुछ अच्छा बना देती है ।
सब को मेरा बना देती है ।
सब को माफ कर देती है ।
सब के बीच मुझे बाँट देती है ।
आज इतने लोगों में बट गया हूँ कि
उसी से दूर हो गया हूँ जिसकी ऊष्मा से
दुनिया बदलने की ताकत रखता हूँ ।