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Sunday, 29 November 2009

मेरी इक बात पे इक बात वो बोला ,[२]

मेरी इक बात पे इक बात वो बोला ,

क्या बात थी वो जो बात वो बोला !

न जजबात हों काबू तो न कोई बात बोलो तुम ;

जो हो अनिश्चित तो न तकरार बोलो तुम ;

मेरी इक बात पे इक बात वो बोला ,
क्या बात थी वो जो बात वो बोला !

भावों की हो उलझन तो न इकरार बोलो तुम ;

गुस्सा भी गर आए तो मुस्कराके बोलो तुम ;

मेरी इक बात पे इक बात वो बोला ,

क्या बात थी वो जो बात वो बोला !

इक बात पे मेरी इक बात वो बोला ,

इक बात पे मेरी इक बात वो बोला ,
क्या बात थी वो जो बात वो बोला !
न हर इक बात बोलो तुम ,
न कोई राज खोलो तुम ;
मगर हो कोई इक खास ,
जिसे हर बात बोलो तुम ;
इक बात पे मेरी इक बात वो बोला ,
क्या बात थी वो जो बात वो बोला !