तेरी तलाश है मुझे तू ही नही मिलता,
तू गुजरा जिस राह पे,
वो जमीं नही मिलती, वो आसमान नही मिलता ;
तेरे बनाये जहाँ का ,कुछ नामोनिशान नही मिलता /
हवा में तेरी पहचान ढूंढे हैं ,फूलों में तेरी शान ढूंढे हैं ;
जो इन्सान बनाये तुने वो इन्सान ढूंढे हैं ;
कहीं झलक नही मिलती ,कहीं अहसास नही मिलता ;
जो चला हो तेरी राहों में ,वो इन्सान नही मिलता /
भावः दिल में बहुतेरों के हैं ,
श्रद्धा और आस चकेरों के हैं ;
महिमा का गान करे कितने ही ,
तेरी दया द्रिस्टी से सामर्थ्य चितेरों के हैं ;
तेरी राह चला ,तेरी बात धुना ;
ऐसे को आखें ढूंढे हैं ,
ऐसा परमार्थ नही मिलता ;
जो इन्सान बनाये तुने ,ह्रदय उन इंसानों को ढूंढे है ;
तेरी तलाश हो जिसको ऐसा स्वाभाव नही मिलता ;
तू गुजरा जिस राह से ,
वही जमीं नही मिलती वही आसमान नही मिलता ;
तेरे बनाये जहाँ कोई नामोनिशान नही मिलता /