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Saturday, 11 April 2009

नही रहे हिन्दी के साहित्यकार विष्णु प्रभाकर --------------------------

हिन्दी के जाने -माने साहित्यकार अब हमारे बीच नही रहे । पद्मविभूषण से सम्मानित विष्णु जी काफी दिनों से बीमार चल रहे थे । हाल-फिलहाल उनका इलाज दिल्ली के पंजाबी बाग़ स्थित महाराजा अग्रसेन अस्पताल में हो रहा था ।
सन १९१२ में जन्मे विष्णु प्रभाकर जी नाटककार,कहानीकार,उपन्यासकार और जीवनीकार के रूप मे जाने जाते थे । आप के प्रमुख उपन्यास इस प्रकार हैं
१.निशिकांत -१९५५
२.तट के बंधन -१९५५
३.दर्पण का व्यक्ति -१९६८
४.कोई तो - १९८०
५.अर्धनारीश्वर-१९९२
आप की कहानिया भी काफी लोकप्रिय रही हैं । आप के कुछ प्रमुख कहानी संग्रह इस प्रकार हैं
१.धरती अब घूम रही है
२.सांचे और कला -१९६२
३.पुल टूटने से पहले -१९७७
४.मेरा वतन -१९८०
५.खिलौने
६.एक और कुंती
७। जिंदगी का रिहर्सल

आप ने हिन्दी नाटको के विकास में भी अहम् भूमिका निभाई । सन १९५८ में डॉक्टर नामक आप के नाटक से आप को हिन्दी नाटक के परिदृश्य मे जाना गया । आप के प्रमुख नाटक इस प्रकार हैं
१.युगे-युगे क्रांति-१९६९
२.टूटते परिवेश-१९७४
३.कुहासा और किरण -१९७५
४.डरे हुवे लोग -१९७८
५.वन्दिनी-१९७९
६.अब और नही -१९८१
७.सत्ता के आर-पार -१९८१
८.श्वेत कमल -१९८४
इनके अतिरिक्त आपको जिन पुस्तकों की वजह से जाना गया ,उनमे आवारा मसीहा ,हत्या के बाद और मैं नारी हूँ शामिल है । आप मूल रूप से मानवतावादी रचनाकार के रूप में जाने गये । मानवीय मूल्यों के प्रति आप अपने साहित्य के माध्यम से हमेशा सचेत रहे । आप का यह मत था की ,"व्यक्ति की संवेदना जब मानव की संवेदना में रूपाईट होती है तभी कोई रचना साहित्य की संज्ञा पाती है । "
आज विष्णु प्रभाकर जीवित नही हैं ,लेकिन उनका साहित्य अमर है। यह साहित्य ही हमे हमेशा विष्णु जी की याद दिलाता रहे गा । ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दे ।

डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित

 डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित  दिनांक 16 जनवरी 2025 को ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज ...