Wednesday, 29 April 2009

बरबादियों का आलम यूँ है, कोई आंसू बहता कोई खूं है /

बरबादियों का आलम यूँ है,कोई आंसू बहता कोई खूं है ;
मोहब्बत में बरबादियों का दस्तूर तो पुराना है ,
कहीं जफा करती है , कहीं वफ़ा करती है ;
बरबादियों का आलम यूँ है,कोई आंसू बहता कोई खूं है ;
ना गुरेज था मुझको तेरी जफावों से ,
दिल हो जाता था चाक तेरी निगाहों से ;
बावजूद तेरी बेवफ़ाइआ , तेरा हर नाज हम सह लेते ;
खंजर सिने में मेरे तेरा ,फिर भी हम हंस लेते ;
पीठ में खंजर ,वो भी गैरों के हाथों से ,
हैरान थे तेरी सोच पे , तेरे इरादों पे ;
शुक्रिया ,तेरे हंसते चेहरे ने मौत आसान कर दी ;
मेरी डूबती सांसे औ तेरा खिलखिलाना ,
तेरी महकती सांसों ने वो महफ़िल खुशनुमा कर दी ;
हुस्न तेरा ये जलवा भी, मैंने देखा है ;
तेरी उस खिलखिलाहट में भी , एक आंसू का कतरा देखा है ;
बरबादियों का आलम यूँ है,कोई आंसू बहता कोई खूं है /
Vinay

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