हिंदी भाषा को तकनीक के साथ जोड़ने की
कड़ी में एक महत्वपूर्ण पड़ाव रहा है ”यूनिकोड सिस्टम” ।
हिंदी टंकण की तकनीकी समस्या को इसने लगभग ख़त्म ही कर दिया । अंतर्जाल और संगणक पे
हिंदी में लिखना इस नई व्यवस्था के कारण काफी आसान हो गया है । वेबसाइट, ब्लाग, सोशल नेटवर्किंग इत्यादि माध्यमों से पूरी
दुनियाँ में हिंदी भाषा और साहित्य का जो प्रचार-प्रसार हो रहा है, उसका श्रेय इस नई टंकण व्यवस्था को ही है ।
यूनिकोड सिस्टम को स्पष्ट करते हुए
ई-पंडित श्रीश शर्मा लिखते हैं कि,”….यूनिकोड एक
कोडिंग प्रणाली है, जिसमें दुनियाभर की सभी प्रमुख भाषाओं के
वर्ण-चिन्हों को एक अद्वितीय कोड दिया गया है,जो कि हर
प्रकार के कम्प्यूटिंग डिवाइस,आपरेटिंग सिस्टम,प्लेटफ़ार्म तथा भाषा आदि में समान रहता है । यूनिकोड मानक को सभी
सॉफ्टवेयर कंपनियों ने अपनाया है .....। “1 शर्मा जी ने बड़े सरल शब्दों
में इसे समझाने का प्रयास किया है । http://www.unicode.org/announcements/quotations.html#bigelow
नामक वेबसाइट पर यूनिकोड के
संदर्भ में कई विद्वानों के विचार पढ़ने को मिल जाते हैं । जैसे कि –
“The Unicode Consortium has
been committed to making mathematical notation available for direct use in
electronic documents. Substantial improvements to that end in the Unicode
Standard make the latest release a must. Once tools have been upgraded to
Unicode 5.0, they will bring this power to users in mathematics and the hard
sciences.
—barbara beeton, Composition Systems Staff
Specialist
American Mathematical Society
American Mathematical Society
“Over the
past two decades, Unicode has become one of the most important global standards
in digital typography. Unicode 5.0, with its greatly increased range, will be
of tremendous benefit to software developers involved with text processing,
including font designers, application developers, web browser developers, and
operating system manufacturers. Computer users around the world, including
scholars, librarians, and scientists, as well as general users, will likewise
benefit from broad adoption of the Unicode Standard, which has become an
essential component of world literacy in the digital age.”
“For teaching and research in the field of ancient Greek, Unicode
is a godsend, offering truly effective communication across platforms and
applications after two decades of frustrations caused by inconsistent custom
encodings. Users of other historical and threatened scripts are learning that
they too have much to gain from Unicode.”
—donald j. mastronarde, Melpomene Professor of
Classics
University of California, Berkeley
University of California, Berkeley
उपर्युक्त विद्वानों के विचारों से यह स्पष्ट हो
जाता है कि यूनिकोड के आगमन ने वैश्विक स्तर पर कई भाषाओं को प्रचारित- प्रसारित
होने का सुनहरा मौका दिया है । अपनी मातृभाषा में अपने आप को अभिव्यक्त करने का
सुख अलग ही होता है । हिंदी भाषा कई अन्य भारतीय भाषाओं के साथ यूनिकोड के माध्यम
से ही देश की सीमाओं को लाँघते पूरे विश्व में आज लिखी और पढ़ी जा रही है ।
यूनिकोड के पहले भी हिंदी टंकण के लिए
अलग – अलग हिंदी फॉन्ट उपलब्ध थे जिन्हें किसी वर्ड प्रोसेसर के माध्यम से चुनकर
टंकित किया जाता था । लेकिन इस तरह की टंकित सामग्री जब एक संगणक से दूसरे संगणक
को प्रेषित की जाती तो वह अपने मूल स्वरूप
में नहीं दिखाई पड़ता, और जो दिखाई पड़ता वह अपठनीय एवं
निरर्थक होता । एक संगणक से दूसरे संगणक को
प्रेषित ऐसी सामग्री तभी पढ़ी जा सकती थी जब दोनों ही संगणकों में वह फॉन्ट
इनस्टाल हो जिसमें की सामग्री टंकित हुई है । सुशा,कृतिदेव, चाणक्य इत्यादि इसीतरह के फॉन्ट हैं जिनमें यूनिकोड से पहले भी टंकण का
काम होता रहा है ।इन्हें नॉन यूनिकोड फॉन्ट भी कहा जाता है । ये नॉन यूनिकोड फॉन्ट
किसी एक जगह हिंदी में सामग्री को टंकित करके उसे मुद्रित करने के लिये तो ठीक थे
लेकिन वेब मीडिया या इन्टरनेट पे सूचनाओं के आदान – प्रदान के लिये अनुपयोगी थे ।
साथ ही साथ कीबोर्ड पे हर नॉन यूनिकोड हिंदी फॉन्ट को टंकित करने की अलग व्यवस्था
थी । हर फॉन्ट के साथ उसे टंकित करने का तरीका बदल जाता था । यूनिकोड ने इससे भी
निजात दिला दी ।
यही कारण रहा कि छपाई इत्यादि के लिये
नॉन यूनिकोड हिंदी फॉन्ट सहजता से उपयोग में लाये जाते रहे । लेकिन “ई युग“ की
जरूरतों को पूरा करने में ये अक्षम थे ।यद्यपि देवनागरी के सभी वर्णो के मानकीकरण
की प्रक्रिया अभी पूर्ण नहीं हुई है फ़िर भी
ई युग की जरूरतों को बड़े पैमाने पर यूनिकोड ने ही पूरा किया । आज यूनिकोड
का उपयोग मोबाइल फोन, टैबलेट इत्यादि आधुनिक उपकरणों में
भी धड़ल्ले से हो रहा है जिससे हिंदी भाषा के प्रचार को गति मिली है, यह गति ही इसके प्रौद्योगिकी सापेक्ष प्रगति का द्योतक है ।
अब तो विंडोज़ के लगभग सभी प्रकारों में
इंडिक सपोर्ट रहता ही है । विंडोज़ विस्टा, विंडोज़ सेवन, लिनिक्स, मैकिन्टोश ओस,
विंडोज़ एट सभी संस्करणों में इंडिक सपोर्ट होने का अर्थ है आप हिंदी में यहाँ काम
कर सकते हैं । संगणक पर हिंदी में टंकण के लिए आज कई तरह के टाइपिंग टूल या औज़ार
उपलब्ध हैं । अधिकांश इंटरनेट पर मुफ़्त में उपलब्ध हैं । ”माइक्रोसॉफ़्ट
इंडिक लैंगवेज़ इनपुट टूल “ ऐसा ही एक टूल है जिसे डाऊनलोड़ करके आप हिंदी टंकण
आसानी से कर सकते हैं ।
हमें इस बात को समझना होगा की संगणक की
आंतरिक व्यवस्था वर्णो को नहीं अंकों/नंबरों के आधार पर कार्य निष्पादित करती है ।
इसलिए यह सुनिश्चित करना होता है कि कौन सा अंक किस वर्ण के लिए प्रयोग में लाया
जाय । जैसे अ के लिए 9 या न के लिए 7 यह सुनिश्चित करना होगा । साथ ही वैश्विक
स्तर पर एकरूपता के लिए इनकी व्यवस्थागत स्वीकार्यता अनिवार्य है । standard way of
encoding the characters ज़रूरी है । यह विश्व की
सभी भाषाओं की प्रगति के लिए अनिवार्य है । इसकी शुरुआत 1960 के दशक में The American Standards
Association ने 7-bit encoding के निर्माण से की जिसे
जाना गया The American Standard
Code for Information Interchange (ASCII) के नाम से । जिसके
उपयोग को 1968 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन (Lyndon Johnson) ने आधिकारिक तौर पर सुनिश्चित किया । 1980 के दशक में एक नई प्रणाली
विकसित करने की योजना सामने आयी । एक ऐसी व्यवस्था जिसमें निश्चित अंक/नंबर/कोड
पॉइंट हो,
दुनियाँ के सभी भाषाओं के सभी वर्णो के लिये । “यूनिक कोड़ पॉइंट” की इसी व्यवस्था
को नाम दिया गया – यूनिकोड । यूनिकोड के 6.1 वर्जन में 110,000 से अधिक कोड़ पॉइंट निर्मित
हो चुके थे ।
http://www.unicode.org/standard/translations/hindi.html यह वेबसाइट जानकारी देता है कि -
यूनिकोड,की विशेषता यही है कि यह प्रत्येक अक्षर के लिए एक विशेष नंबर
प्रदान करता है, चाहे कोई भी प्लैटफॉर्म, प्रोग्राम या भाषा हो। यूनिकोड स्टैंडर्ड को ऐपल, एच.पी., आई.बी.एम., जस्ट सिस्टम, माईक्रोसॉफ्ट, औरेकल, सैप, सन, साईबेस, यूनिसिस जैसी उद्योग की प्रमुख कम्पनियों ने अपनाया है। यूनिकोड की आवश्यकता
आधुनिक मानदंडों, जैसे एक्स.एम.एल., जावा, एकमा स्क्रिप्ट (जावा स्क्रिप्ट), एल.डी.ए.पी., कोर्बा 3.0, डब्ल्यू.एम.एल. के लिए होती है और यह आई.एस.ओ./आई.ई.सी. 10646 को लागू करने का अधिकारिक तरीका है। यह
कई संचालन प्रणालियों, सभी आधुनिक ब्राउजरों
में आजकल
उपलब्ध होता है। यूनिकोड स्टैंडर्ड
की उत्पति और इसके सहायक उपकरणों की उपलब्धता, हाल ही के अति
महत्वपूर्ण विश्वव्यापी सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी रुझानों में से हैं।यूनिकोड को
ग्राहक-सर्वर अथवा बहु-आयामी उपकरणों और वेबसाइटों में शामिल करने से, परंपरागत उपकरणों के प्रयोग की अपेक्षा
खर्च में अत्यधिक बचत होती है।
यूनिकोड के माध्यम से हम सभी को एक ऐसा अकेला सॉफ्टवेयर उत्पाद मिल जाता
है, जिसे री-इंजीनियरिंग के बिना विभिन्न
प्लैटफॉर्मों, भाषाओं और देशों में उपयोग किया जा सकता
है। इससे डाटा को बिना किसी बाधा के विभिन्न प्रणालियों से होकर ले जाया जा सकता
है। यूनिकोड की व्यवस्था
ऐसी है कि यह भाषाओं का एकीकरण
करने का प्रयत्न करता है। इसी नीति के तहत कई भाषाओं के समूह को एक ब्लॉक के अंतर्गत रखा
जाता है । सभी पश्चिम यूरोपीय
भाषाओं को लैटिन ब्लॉक के अन्तर्गत समाहित किया गया है । सभी स्लाविक भाषाओं को सिरिलिक (Cyrilic) के अन्तर्गत रखा गया है; हिन्दी, संस्कृत, मराठी, नेपाली, सिन्धी, कश्मीरी आदि के लिए
'देवनागरी' नाम से एक ही ब्लॉक दिया गया है । चीनी, जापानी, कोरियाई, वियतनामी भाषाओं को 'युनिहान्' (UniHan) नाम से एक ब्लॉक में रखा गया है; अरबी, फारसी, उर्दू आदि को एक ही
ब्लॉक में रखा गया है। इस तरह हम पाते हैं कि कई भाषाओं को एक ब्लॉक या परिवार के अंतर्गत
समाहित किया गया है । खूबी यह भी है कि इसमें बाएँ से दाएँ और दाएँ-से-बाएँ लिखी जाने वाली लिपियों
(अरबी, हिब्रू आदि) को भी समान रूप से शामिल किया गया है। उपर से नीचे की
तरफ लिखी जाने वाली लिपियों का अभी अध्ययन किया जा रहा है, संभावना है कि जल्द ही
इन्हें भी यूनिकोड का हिस्सा बना लिया जाएगा ।
अब तो Unicode 7.0 भी आ चुका है । इसमें कुल 2,834 वर्ण /कैरेक्टर, 23 नए स्क्रिप्ट, कई नए
प्रतीकों और चिन्हों को भी इसमें सम्मिलित किया गया है । यूनिकोड अपने आप को
लगातार परिमार्जन और परिष्कार की प्रक्रिया से आगे बढ़ा रहा है, यह
विश्व की सभी भाषाओं के लिये एक सुखद स्थिति है । हिंदी भाषा के वैश्विक
प्रचार-प्रसार से हम तभी जुड़ पाएंगे जब हम भाषायी तकनीक से जुड़ेंगे । प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी जी ने लाल किले की प्राचीर से डिजिटल इंडिया का नारा दिया है । यह
बात भाषा पर भी लागू होती है । हम सभी को मिलकर आधुनिक भारत की एक नई तस्वीर बनानी
होगी । तकनीक ही इसका हथियार होगा ।
डॉ मनीषकुमार सी. मिश्रा
यू.जी.सी.
रिसर्च अवार्डी
हिंदी विभाग
बनारस हिंदू
यूनिवर्सिटी, वाराणसी
manishmuntazir@gmail।com
मो.
8090100900, 8853253030
संदर्भ ग्रंथ :
[1] यूनिकोड
हिंदी टाइपिंग से एक परिचय – ई-पंडित श्रीश शर्मा
हिंदी
ब्लागिंग अभिव्यक्ति की नई क्रांति – अविनाश वाचस्पति, रवीन्द्र प्रभात , पृष्ठ संख्या -16
हिंदी
ब्लागिंग अभिव्यक्ति की नई क्रांति – अविनाश वाचस्पति, रवीन्द्र प्रभात
हिंदी
ब्लागिंग: स्वरूप,व्याप्ति और संभावनाएं – डॉ मनीष
कुमार मिश्रा
वेब
मीडिया और हिंदी का वैश्विक प्रचार-प्रसार - डॉ मनीष कुमार मिश्रा
वेब
मीडिया और अभिव्यक्ति के खतरे – डॉ अनिता मन्ना, डॉ मनीष
कुमार मिश्रा
वैकल्पिक
पत्रकारिता और सामाजिक सरोकार – डॉ अनिता मन्ना, डॉ
वीरेंद्र कुमार मिश्र
भूमंडलीकरण
और ग्लोबल मीडिया – जगदीश्वर चतुर्वेदी,सुधा सिंह
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