उनसे ही मासूम उनके बहाने हैं ।
क्या करे उन्ही के दीवाने हैं ।
जो मिले वही रास्ता बताये ,
हम सचमुच कितने अनजाने हैं ।
एक साथ एक घर मे रहनेवाले भी,
एक-दूसरे से कितने बेगाने हैं ।
जंहा मिला रास्ता वंही चल पडे,
पहले से तय नही हमारे ठिकाने हैं ।
ये बाजारवाद का नया युग है,
यंहा रिश्ते सिर्फ़ भुनाने हैं ।
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ReplyDeleteपहले से तय नही हमारे ठिकाने हैं ।
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