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Thursday, 12 June 2014

किसी के होने न होने के बीच


किसी के होने न होने के बीच
एक जगह ज़रूर होती है
जिसे हमेशा किसी की ज़रूरत होती है ।

हमारे ही अंदर, ये वो रिक्त स्थान हैं
जो संवेदनाओं से सिंचित
और प्रेम की ऊष्मा से भरे होते हैं
ये रिक्त स्थान
आसक्त नहीं अनुरक्त होते हैं ।

किसी के आने के बाद
दायित्व और विश्वास के साथ
ये लुटाने लगते हैं
संस्कारों से सिंचित
अनुराग के पुष्प ।

किसी के जाने के बाद
दुख और अवसाद के बादलों से
ये अपना ही अभिषेक करते हैं
एक दम चुपचाप ।

नई आशा और नई उम्मीद के लिए
प्रेम और विश्वास ज़रूरी है
अत: ये रिक्त स्थान
अपने संकल्पों के साथ जीते हैं
ख़ुद की रिक्तता के साथ
हमेशा प्रतिक्षारत ।

इन रिक्त स्थानों में
यादें भरपूर हैं
वादे-इरादे, न जाने क्या –क्या ।

इन रिक्त स्थानों की पूर्ति
समर्पण की शर्त पे है
क्षमा और प्रेम की बुनियाद पे है
अहम के त्याग पे है
जीवन जीने की
अनिवार्य शर्त पे है ।

सोचना कभी
तुम्हारे अंदर भी

यह रिक्त स्थान ज़रूर होगा । 

डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित

 डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित  दिनांक 16 जनवरी 2025 को ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज ...