ONLINE HINDI JOURNAL
Tuesday, 7 April 2009
इश्क की बात ...................................
इश्क की बात छुपाऊँ कैसे
छुपी बात है ,बताऊँ कैसे ?
पहले ख़ुद ही सताया उन्हे ,
अब सोचता हूँ,मनाऊँ कैसे ?
चोर तो मेरे अंदर ही है ,
मैं भला शोर मचाऊँ कैसे ?
आँगन मेरा ही टेढा है ,
सब को नाच नचाऊँ कैसे ?
भूखे पेट आ गया हूँ ,
आपको हंसाऊं कैसे ?
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