
 कृष्ण- चतुर सुजान राधिके ,मान मेरी एक बात ,
            संग-संग खेलो रास ,आज मेरे पूरी रात । 
 राधा- साँवले सलोने कृष्ण ,मोहे मोय तेरी बात ,
          डर मगर लागे है,सोच के लोक-लाज । 
 कृष्ण-प्रेम डगर अगर-मगर,तुम ना सोचो राधिके ,
          आज रात फ़िर ना जाओ,बात यूँ बना के । 
 राधा-प्यार मे इम्तहान, यूँ न लो  सांवरे 
         मेरे लिये इस कदर,तुम बनो न बावरे ।    
 कृष्ण-रात-दिन हर पहर,बस हूँ तेरे ध्यान में 
           प्रेम से बड़ा न कोई,सारे इस जहाँ  में । 
 राधा-नंदलाल मन मे तेरे खोट ही खोट है ,
         प्यार की राह में तू चित्त चोर है । 
 कृष्ण-प्राण सखे मेरा प्राण ,तेरे ही तो पास है ,
           श्वास-श्वास में मेरी ,तेरी ही तो आस है । 
 राधा-तेरे आगे लोक-लाज,श्याम में भूल गयी ,
          जन्म-जन्म के लिये,राधा तेरी हो  गई 

 
 
kya khoob likha hai aapne radha krishna ka manuhar aur pyar.
ReplyDeletereally its so hearttouching.
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