वो दूसरों के मामलात में चुप्पी साध लेते हैं
जो पहले अपने ही गिरेबान में झांक लेते हैं।
आग से खेलने का अंजाम बखूबी जानते हैं
सुरक्षित अंतर के साथ हम आंच सेंक लेते हैं।
ऐसे दिलबर जो सिक्कों पर दिल फेंक देते हैं
हम बड़े ही सलीके से उनसे मुंह मोड़ लेते हैं।
अब तो चेहरा दिल का सब हाल बता देता है
एक नज़र में ही हम उनका इरादा भांप लेते हैं।
मौसम की तब्दीलियां इशारा तो दे ही देती हैं
जो समझते हैं इन्हें वो बदलाव को आंक लेते हैं।
डॉ मनीष कुमार मिश्रा
कल्याण पश्चिम, महाराष्ट्र