जो भी लगा काम का उससे रिश्ता बना लिया
खुदगर्जी में खुद को कितना सस्ता बना लिया।
मैंने कह दी जो सही बात तो बुरा मान गए हो
यूं ही नहीं तुम ने दूरियां आहिस्ता बना लिया।
यह तो निभाने की बात थी लेकिन जाने कैसे
रिश्तों को ही तुमने आगे का रास्ता बना लिया।
इस चकाचौंध वाली रंगीन जिंदगी के लिए ही
तुम ने बाजार में दिल को गुलदस्ता बना लिया।
चांदी के चंद सिक्कों पर तुम इतने फ़िदा हुए
कि कमजर्फ लोगों को ही फरिश्ता बना लिया।
Dr Manish Kumar Mishra
Assistant professor
K.M. Agrawal College
Kalyan west