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Wednesday, 11 August 2010

ओमप्रकाश पांडे `नमन`


ओमप्रकाश पांडे `नमन ` की यह तीसरी कृति है /कवी  एवं संम्पादक श्री अलोक भट्टाचार्य ने अपनी भूमिका में लिखा है ``नमन की गजलें यदि कवी के कोमल मन को सहलाती हैं ,तो युगधर्म का निर्वहन भी करती हैं / ``

इसी कविता संग्रह की एक कविता प्रस्तुत है /

रात बेहद उदास थी उस दिन
मौत के आसपास थी उस दिन /

देख कर क़त्ल अपने बच्चों का
बूढी माँ बदहवास थी उस दिन /

शहर के सारे मकान खाली थे
भीड़ सड़कों के पास थी उस दिन /

बंद द्वार थे मंदिर मस्जिदों के
शमशानों पर बारात थी उस दिन/

कौम की खातिर हुए दंगों में
कौम बेबस लाचार थी उस दिन /
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ओमप्रकाश पांडे `नमन` के व्यक्तित्व उनकी ये कविता परिभाषित करती है /

जंग की बात जों जाहिल हैं किया करते हैं
दुवाएं हम तो मोहब्बत की किया करते हैं /


डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित

 डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित  दिनांक 16 जनवरी 2025 को ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज ...