Showing posts with label mai chand khojata raha. Show all posts
Showing posts with label mai chand khojata raha. Show all posts

Wednesday, 11 August 2010

ओमप्रकाश पांडे `नमन`


ओमप्रकाश पांडे `नमन ` की यह तीसरी कृति है /कवी  एवं संम्पादक श्री अलोक भट्टाचार्य ने अपनी भूमिका में लिखा है ``नमन की गजलें यदि कवी के कोमल मन को सहलाती हैं ,तो युगधर्म का निर्वहन भी करती हैं / ``

इसी कविता संग्रह की एक कविता प्रस्तुत है /

रात बेहद उदास थी उस दिन
मौत के आसपास थी उस दिन /

देख कर क़त्ल अपने बच्चों का
बूढी माँ बदहवास थी उस दिन /

शहर के सारे मकान खाली थे
भीड़ सड़कों के पास थी उस दिन /

बंद द्वार थे मंदिर मस्जिदों के
शमशानों पर बारात थी उस दिन/

कौम की खातिर हुए दंगों में
कौम बेबस लाचार थी उस दिन /
-------------------------------------------------------------------

ओमप्रकाश पांडे `नमन` के व्यक्तित्व उनकी ये कविता परिभाषित करती है /

जंग की बात जों जाहिल हैं किया करते हैं
दुवाएं हम तो मोहब्बत की किया करते हैं /


International conference on Raj Kapoor at Tashkent

  लाल बहादुर शास्त्री भारतीय संस्कृति केंद्र ( भारतीय दूतावास, ताशकंद, उज्बेकिस्तान ) एवं ताशकंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज़ ( ताशकं...