आज फिर न जाने क्यों ?
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आज फिर न जाने क्यों ,
वही पुराना यार याद आया है .
बहुत दूर हु उससे फिर भी,
उसे बहुत ही करीब पाया है.
सोचता हूँ यूं भी की -
आखिर वह मिला ही क्यों था मुझे ?
तन्हाई
दर्द
हताशा
जुदाई
और ऐसी ही बहुत सी सौगात मुझे,
वह बिन मागे ही दे गया .
जो चाहा था,
वो तो ना जाने कहा खो गया ?
मैंने ने तो गुलाबो की खेती चाही थी,
वो तो मुझे ही नागफनी कर गया.
आज जब भी कभी ,
कोई प्यार से बुलाता है,
मुझे से दिल लगाता है ,
मुझे अपना बनाना चाहता है,
तो मुझे फिर वही याद आता है .
न जाने क्यों ?-----------------क्यों ?
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Friday, 11 December 2009
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