Wednesday, 8 April 2009

सौन्दर्य की सही परिभाषा हो तुम -----------------

सौन्दर्य की सही परिभाषा हो तुम

प्यार भरे मन की अभिलाषा हो तुम ।



कर देती है जो अंदर ही अंदर बेचैन

मन की वही जिज्ञासा हो तुम ।



जिन बातो को सबसे छुपाये रखा

unhee bato ka khulasha ho tum .





jindagi mai ki chilchilaati dhoop

jismay disember ka kuhaasa ho tum .

Posted by Picasa








No comments:

Post a Comment

Share Your Views on this..

ताशकंद – एक शहर रहमतों का” : सांस्कृतिक संवाद और काव्य-दृष्टि का आलोचनात्मक अध्ययन

✦ शोध आलेख “ताशकंद – एक शहर रहमतों का” : सांस्कृतिक संवाद और काव्य-दृष्टि का आलोचनात्मक अध्ययन लेखक : डॉ. मनीष कुमार मिश्र समीक्षक : डॉ शमा ...