Showing posts with label तुम्हारा हाथ हांथों से छूट जाने के बाद. Show all posts
Showing posts with label तुम्हारा हाथ हांथों से छूट जाने के बाद. Show all posts

Wednesday, 10 August 2011

तुम्हारा हाथ हांथों से छूट जाने के बाद

जिन्दगी की दौड़ में 
तुम्हारा हाथ हांथों से  छूट जाने के बाद 
मैं हांफता रहा
अपनी आँखों से
 तुम्हे दूर जाता हुआ देखता रहा.

तुम्हारे बाद भी 
 तुम्हारे लिए ही 
 पूरी ताकत से दौड़ता रहा
 पर तुम कंही ना मिली .

वीरान रास्तों पर
अब भी चलता जा रहा हूँ 
तुझे सोचते हुवे 
 तुझे चाहते हुवे
 तुम्हारी उम्मीद में
तुम्हारी ही तलाश में

एक ऐसी तलाश जिसमे 
 जुस्तजू के अलावां
 और कुछ भी नहीं 
खुद को छलने के सिवा 
 और कुछ भी नहीं.
त्रिषिता की तृष्णा के सिवा
 कुछ भी नहीं

What should be included in traning programs of Abroad Hindi Teachers

  Cultural sensitivity and intercultural communication Syllabus design (Beginner, Intermediate, Advanced) Integrating grammar, vocabulary, a...