Tuesday, 7 April 2009
हजारो मिन्नतों के बाद ..........................
इस तस्वीर को देखकर एक ग़ज़ल लिखी है । इस तस्वीर में जो बात है वो अलग है ।
हजारों मिन्नतों के बाद ,चले आते हैं
आकर बैठे भी नही,की चले जाते हैं ।
कभी अम्मी ,कभी अब्बा कभी खाला ,
इनके नाम से कितना डराते हैं ।
होश रहेगा कैसे ,उनसे मिलने के बाद
वो तो नजरो ही नजरो से पिलाते हैं ।
इश्क की गाड़ी में,बैठे हैं हम मियां
रोज ही झटके पे झटका खाते हैं ।
यहाँ जाती है इस गरीब की जान ,
एक वो हैं की बस मुस्कुराते हैं ।
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waah kya baat hai.bahut badhiya rachna.
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