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Wednesday, 24 February 2010
प्यार के रंग में गोरी भीगी.
होली जब भी आती है
नई सौगात लाती है .
उसे बाँहों में भरने का,
वही एहसास लाती है.
ले के प्यार का गुलाल,
मन में थोड़े से सवाल .
वो आ के मेरे पास,
मुझको छेड़ जाती है .
नजर सब क़ी बचाती है
नजर मुझसे मिलाती है .
इशारों ही इशारों में,
हँसी पैगाम देती है .
हमजोली क़ी टोली आती .
साथ में नखरे वाली आती .
छू के मेरे गालों को,
वो हलके से शरमाती है .
चोली भी भीगी ,चुनरी भी भीगी
प्यार के रंग में गोरी भीगी.
देख के उसका ऐसा रूप,
मुझको बेचैनी होती है .
( इस पोस्ट के साथ लगे सभी फोटो मुझे मेल के रूप में मिले हैं,इनपे मेरा कोई अधिकार नहीं है.)
होली जब भी -----------------------------------------
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