Showing posts with label manish bhu poems. Show all posts
Showing posts with label manish bhu poems. Show all posts

Monday, 31 August 2015

वही एक बात जो


सोचता हूँ कि
आज फ़िर एक बार
पूछूँ तुमसे 
वही एक बात जो
न जाने कितनी बार
पूछ चुका हूँ
तुमसे ही ।
वही एक बात जो
अब मेरे कहने से पहले
तुम समझ जाती हो
और कहती हो
कि जब जानती हूँ
क्या पूछोगे
तो क्यों पूछते हो ?
जब कि
बता चुकी हूँ
तुम्हें सबकुछ
साफ़ - साफ़ ।
वही एक बात
जिस बात पर
तुम या तो चुप हो
या फ़िर अड़ी हो
वही बात जो
तुम्हारे इनकार के साथ
शायद रुकी हुई है
या
अब भी उम्मीद में है ।
वही एक बात
जिस बात को लेकर
बैठा रहता हूँ
बनारस के घाटों और
मंदिरोंकी सीढियों पर
घंटों अकेले
जागती रातों में
नींद के सपनों के साथ
उसी एक बात पर
बिताते
दिन-महीने-साल ।
वही एक बात
जिसके संकट को
हरने की अर्जी
प्रलंबित है
संकटमोचन और
बाबा विश्वनाथ के
साथ-साथ
न जाने कितने
दरबारों में ।
वही एक बात जो
तुमसे कह तो दिया
लेकिन
कह नहीं पाया कि
जो कहा मैंने
वह कोई
औपचारिकता नहीं थी ।
अब जब कि
तुम सुना चुके हो
अपना निर्णय
फ़िर भी जाने क्यों
लगता है कि
तुमसे पूछूँ
फ़िर से
वही एक बात ।
दरअसल
यह फ़िर एक बार
का पूछना
बचा लेता है मुझे
मेरे सारे सपनों को
और इसीलिए
आज फ़िर
सोच रहा हूँ कि
पूछ लूँ तुमसे
फ़िर वही एक बात ।
                      ------ मनीष कुमार
                                  B H U