Showing posts with label बोध कथा २८: सकारात्मक सोच. Show all posts
Showing posts with label बोध कथा २८: सकारात्मक सोच. Show all posts

Monday, 19 April 2010

बोध कथा २८: सकारात्मक सोच

बोध कथा २८: सकारात्मक सोच 
 पुराने जमाने की बात है। ग्रीस देश के स्पार्टा राज्य में पिडार्टस नाम का एक नौजवान रहता था। वह पढ़-लिखकर बड़ा विद्वान बन गया था।
एक बार उसे पता चला कि राज्य में तीन सौ जगहें खाली हैं। वह नौकरी की तलाश में था ही, इसलिए उसने तुरन्त अर्जी भेज दी।
लेकिन जब नतीजा निकला तो मालूम पड़ा कि पिडार्टस को नौकरी के लिए नहीं चुना गया था।
जब उसके मित्रों को इसका पता लगा तो उन्होंने सोचा कि इससे पिडार्टस बहुत दुखी हो गया होगा, इसलिए वे सब मिलकर उसे आश्वासन देने उसके घर पहुंचे।

पिडार्टस ने मित्रों की बात सुनी और हंसते-हंसते कहने लगा, “मित्रों, इसमें दुखी होने की क्या बात है? मुझे तो यह जानकर आनन्द हुआ है कि अपने राज्य में मुझसे अधिक योग्यता वाले तीन सौ मनुष्य हैं।” किसी ने लिखा भी है क़ि 
                '' सही सोच और सही विचार ,
                 है जीवन के सुख का आधार ''


 **भारत-दर्शन पत्रिका से ली गई कहानी
  

sample research synopsis

 Here’s a basic sample research synopsis format you can adapt, typically used for academic purposes like thesis proposals or project submiss...