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Friday, 3 February 2012

जिससे मैं नाराज हो सकूँ

आज दिन भर व्यस्त रहा । सुबह जल्दी उठकर रवीन्द्र प्रभात जी के पास होटल के कमरे में गया । उनके साथ नाश्ता किया और बुके लेकर जल्दी - जल्दी महाविद्यालय पहुंचा । रवीन्द्र भाई को प्राचार्या मैडम के पास बैठाकर हाल में बैनर,माईक,कुर्सी लगे हैं या नहीं इसकी जांच की । रवीन्द्र भाई के लिए स्मृति चिन्ह लाया । और फिर शिक्षकों - शिक्षकेतर कर्मचरियों को बुलाकर हाल में ब्लाग बनाने की कार्यशाला की शुरुआत करायी । उ...सके बाद रवीन्द्र भाई के साथ परेल के एम . डी . महाविद्यालय के लिए निकल पड़े । वहाँ दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी थी जिसमें रवीन्द्र प्रभात जी अतिथि थे और मुझे अपना शोध आलेख प्रस्तुत करना था । यह सब खत्म कर रवीन्द्र भाई को हवाई अड्डे के लिए रवाना किया और खुद ट्रेन पकड़ कर कल्याण आया। आते ही ओरिसा की टिकट लेने गया और थका मांदा घर पहुंचा तो भाई आशीष का फोन आया , कल उनके साथ शनि शिंगनापुर जाना था जिसके लिए वो कई बार फोन भी किए लेकिन मैं बात नहीं कर पाया । वो भी नाराज हैं । भतीजे इस लिए नाराज हैं क्यों कि मैं चाकलेट लाना भूल गया । प्रिया का एसएमएस आया कि वो मुझसे बहुत नाराज है । कॉलेज के कई लोग नाराज हैं क्यों कि मैं कुछ वादे पूरे नहीं कर पाया । आज लगता है सब नाराज ही हैं मुझसे लेकिन मेरे पास कोई ऐसा नहीं है जिससे मैं नाराज हो सकूँ

Two days online international Conference

 International Institute of Central Asian Studies (IICAS), Samarkand, Uzbekistan (by UNESCO Silk Road Programme ) Alfraganus University, Tas...