मेरी अन्तिम साँस की बेला ,
मत देना तुलसी-गंगाजल ।
अपने ओठों का एक चुम्बन ,
ओठों पे देना मेरे प्रिये ।
इससे पावन जग मे पूरे ,
वस्तु ना दूजी कोई होगी ।
इसमे तेरा प्यार भरा ,
और स्वप्न मेरा साकार प्रिये ।
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Friday, 7 August 2009
Tuesday, 4 August 2009
कल रक्षा बंधन का त्यौहार है -------------------------------
कल रक्षा बंधन का त्यौहार है ,
पर मेरा मन उदास है ।
इसलिए नही की -मुझे राखी कोई नही बांधेगी
बल्कि इस लिए की -यह रिश्ता फ़िर कंही न कंही ,
देश दुनिया के किसी कोने मे ,शर्मिंदा होगा ।
कोई बहिन कल भी शिकार होगी ,
किसी राखी बंधे भाई के द्वारा ही -बलात्कार और न जाने किस किस की ।
कोई बहिन कल भी किसी कोठे पे नंगी होगी ,
किसी राखी बंधे भाई के ही हांथो ।
कल भी किसी शराब घर मे कोई बहिन ,
जिस्म की नुमाईस कर जो पाएगी ,
उसी से किसी भाई के लिए राखी खरीदेगी ,
किसी से रक्षा का वचन लेगी ।
यह सब सोचता हूँ तो खुश हो जाता हूँ ,
यह सोच कर की चलो मैं इन ढकोसलों से बच गया,
क्योंकि मेरी कोई बहिन नही है ।
और जो हैं ,उनकी रक्षा मैं अकेले नही कर सकता ।
नैतिकता जोर मारती है लेकिन -----असमर्थ हूँ ।
ऐसा सम्भव तभी होगा जब ,
संस्कार बचेंगे ,जब हम सीखेगे
रचना ,प्रेम और त्याग ।
जब नियम ,संयम और समर्पण को हम जान पायेंगे ।
अन्यथा होता रहेगा यही ,
एक बहिन से राखी बंधवाकर ,
दूसरी बहिन की कपड़े उतारते रहेंगे हम .
पर मेरा मन उदास है ।
इसलिए नही की -मुझे राखी कोई नही बांधेगी
बल्कि इस लिए की -यह रिश्ता फ़िर कंही न कंही ,
देश दुनिया के किसी कोने मे ,शर्मिंदा होगा ।
कोई बहिन कल भी शिकार होगी ,
किसी राखी बंधे भाई के द्वारा ही -बलात्कार और न जाने किस किस की ।
कोई बहिन कल भी किसी कोठे पे नंगी होगी ,
किसी राखी बंधे भाई के ही हांथो ।
कल भी किसी शराब घर मे कोई बहिन ,
जिस्म की नुमाईस कर जो पाएगी ,
उसी से किसी भाई के लिए राखी खरीदेगी ,
किसी से रक्षा का वचन लेगी ।
यह सब सोचता हूँ तो खुश हो जाता हूँ ,
यह सोच कर की चलो मैं इन ढकोसलों से बच गया,
क्योंकि मेरी कोई बहिन नही है ।
और जो हैं ,उनकी रक्षा मैं अकेले नही कर सकता ।
नैतिकता जोर मारती है लेकिन -----असमर्थ हूँ ।
ऐसा सम्भव तभी होगा जब ,
संस्कार बचेंगे ,जब हम सीखेगे
रचना ,प्रेम और त्याग ।
जब नियम ,संयम और समर्पण को हम जान पायेंगे ।
अन्यथा होता रहेगा यही ,
एक बहिन से राखी बंधवाकर ,
दूसरी बहिन की कपड़े उतारते रहेंगे हम .
Saturday, 1 August 2009
मेरी सोच
मै ये सोच के उसके डर से उठा था ;
वो रोक लेगी , मना लेगी मुझको ;
आगे बड़कर ,दामन पकड़कर बिठा लेगी मुझको ;
आखों ने आस लिए उसको देखा था ;
किसी आभास के लिए , मै हलका सा पलटा था ;
ना उसने रोका , न मनाया ;
न दामन पकड़कर मुझको बिठाया ;
ना आवाज दी ,न मुझको बुलाया ;
न आखों ने उसकी कोई ढाढस बंधाया ;
मै रुकते कदमो से ,झिझकते भावों से ;
शायद अब भी रोक ले, इन धारानावों से ;
धीरे धीरे बाहर निकल आया ;बहुत दूर चला आया /
Thursday, 16 April 2009
न पूछो तुम जुदाई का सबब --------------------------
झूठी तारीफों से मान जाते हैं
सच बोलूँ तो खफा होते हैं ।
मिलने का तो ऐसा है कि,
खयालो में हर रोज आते हैं ।
न पूछो तुम जुदाई का सबब,
BADEE TANHA BADEE BECHAIN RAATAY HAIN .
YOON TO MUJHSAY BAHUT DOOR HAI PAR,
USI KO SABSAY KAREEB PAATAY HAIN .
AAP JISAY KAHTAY HAIN GAZAL,
VO TO DARD SAY RISHTAY-NAATAY HAIN .
सच बोलूँ तो खफा होते हैं ।
मिलने का तो ऐसा है कि,
खयालो में हर रोज आते हैं ।
न पूछो तुम जुदाई का सबब,
BADEE TANHA BADEE BECHAIN RAATAY HAIN .
YOON TO MUJHSAY BAHUT DOOR HAI PAR,
USI KO SABSAY KAREEB PAATAY HAIN .
AAP JISAY KAHTAY HAIN GAZAL,
VO TO DARD SAY RISHTAY-NAATAY HAIN .
Sunday, 5 April 2009
देखो कितनी गुमसुम माँ ---------------------------------
साथ मेरे है हरदम माँ
हर दर्द पे मेरे मरहम माँ ।
कोई नही है उससे प्यारी ,
सात सुरों की सरगम माँ ।
सुबह-सुबह फूलो पर ,
प्रेम लुटाती शबनम माँ ।
मुझसे जादा मेरी चिंता ,
देखो कितनी गुमसुम माँ ।
घर के अंदर बात-बात पर ,
देखो बनती मुजरिम माँ ।
सब के लिये जादा-जादा ,
पर ख़ुद लेती कम -कम माँ ।
सब की सुनती पर चुप रहती ,
कितना रखती संयम माँ ।
साथ मेरे है हरदम माँ -----------------------------------------------------------------।
हर दर्द पे मेरे मरहम माँ ।
कोई नही है उससे प्यारी ,
सात सुरों की सरगम माँ ।
सुबह-सुबह फूलो पर ,
प्रेम लुटाती शबनम माँ ।
मुझसे जादा मेरी चिंता ,
देखो कितनी गुमसुम माँ ।
घर के अंदर बात-बात पर ,
देखो बनती मुजरिम माँ ।
सब के लिये जादा-जादा ,
पर ख़ुद लेती कम -कम माँ ।
सब की सुनती पर चुप रहती ,
कितना रखती संयम माँ ।
साथ मेरे है हरदम माँ -----------------------------------------------------------------।
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