तुमसे कहता हूँ वही एक बात नए- नए तरीकों से
हाय ! भटकते फ़िरते हैं तेरे कूँचे में हम फ़कीरों से ।
तुमने तो कह दी है अपने दिल की बात लेकिन
हम सोचते हैं कि लड़ लेंगें क़िस्मत की लकीरों से ।
अब तक यूँ तो तनहा ही रहा हूँ आदतन मैं ,
तुम क्या मिले कि मेरे भी ख़्वाब हो गये अमीरों से ।
हाय ! भटकते फ़िरते हैं तेरे कूँचे में हम फ़कीरों से ।
तुमने तो कह दी है अपने दिल की बात लेकिन
हम सोचते हैं कि लड़ लेंगें क़िस्मत की लकीरों से ।
अब तक यूँ तो तनहा ही रहा हूँ आदतन मैं ,
तुम क्या मिले कि मेरे भी ख़्वाब हो गये अमीरों से ।