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Thursday, 18 March 2010

बोध कथा-६: भौतिकता

बोध कथा-६: भौतिकता 
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                                         कविता अभी ४ साल क़ी ही है. लोगों को यह लगता है क़ि वह बड़ी खुशनसीब है. उसके पिताजी किसी बड़ी विदेशी कंपनी में मैनेजर हैं. माँ भी कॉलेज में अध्यापिका हैं. घर में पैसे क़ी कोई कमी नहीं है. फिर कविता अपने माँ-बाप क़ी इकलौती संतान है.वह जो चाहती है,वह वस्तु उसे तुरंत दिला दी जाती. उसकी देख -रेख  करने के लिए घर में आया भी थी. माँ-पिताजी दोनों घर से बाहर रहते.ऐसे में अकेले ही कविता बोर हो जाती. उसे घर से बाहर भी जाने क़ी इजाजत नहीं थी.सिर्फ रविवार को माँ-पिताजी दोनों ही घर पे रहते.लेकिन उनका घर पर रहना भी ना रहने क़ी ही तरह था.वे दोनों अपने ऑफिस और महाविद्यालय क़ी ही बातों में उलझे रहते.कविता क़ी तरफ ध्यान देने का उन्हें मौका ही नहीं मिलता.
                                     ऐसे ही एक रविवार को जब दोनों लोग घर पे थे,कविता पहले दौड़ कर माँ के पास गई और बोली,''माँ ,आज तो छुट्टी है ना ? फिर मेरे साथ खेलो ना ." कविता क़ी बात सुनकर माँ बोली,'' अरे बेटा,बहुत काम है.मुझे बच्चों के पेपर चेक करने हैं.एक काम करो, तुम पापा के साथ जा कर खेलो .'' इसतरह माँ ने कविता को टाल दिया और वापस अपना काम करने लगी.
              माँ के पास से कविता पिताजी के पास आ गई. उसके पिताजी भी अपने   
 लैपटॉप  पर कुछ  जरूरी काम  कर रहे थे. कविता ने उनसे भी वही बात कही. इस पर उसके पिताजी मुस्कुराते हुए बोले,'' अगर मैं आप के साथ खेलूंगा  तो पैसे कौन  देगा ? आप जाओ ,मुझे जरूरी काम है. परेशान मत करो.''कविता चुप-चाप उलटे पाँव अपने कमरे में चली आयी. थोड़ी देर रोती रही .फिर अचानक उसका ध्यान अपने पैसों के गुल्लक पर गया. वह उस गुल्लक को लेकर अपने पिताजी के पास गई और बोली,''पापा, मेरे पास जितने पैसे हैं आप सब ले लो.पर मेरे साथ खेलो ना ,प्लीज़ .''
              मासूम कविता क़ी बातें सुनकर उसके पिता अवाक रह गए .उन्होंने कविता को अपनी गोंद में उठा लिया.और बोले,''बेटा ,मुझे माफ़ कर दो.इस पैसे और भौतिकता क़ी दौड़ में  अपने पिता होने क़ी जिम्मेदारी को भूल गया था.आज तुम ने मेरी आँखें खोल दी .''
                                                        इस तरह कविता के पिता को अपनी गलती समझ में आयी.कविता जैसे बच्चों के लिए ही शायद किसी ने कहा है कि--------- 
                                         '' सब के साथ है,मगर अनाथ है.
                              आज का बचपन बहुत बेहाल है .''        

( i do not hvae any copy right on the said above photos.)   

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