25 जनवरी 2014 को BHU के लिए निकल रहा हूँ । आगामी कम से कम दो वर्षों तक वंही रहूँगा । मुंबई की जीवन शैली में 32 सालों तक रचने - बसने के बाद, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से ही नई जमीन तलाशने की कोशिश करूंगा । कहते हैं कि हर दीवार नए दरवाजे की उम्मीद होती है । मेरी मन पसंद पंक्तियाँ भी यही संदेश देती हैं
रास्ता कहाँ नहीं होता ?
सिर्फ हमें पता नहीं होता ।
बाबा विश्वनाथ का आदेश सर माथे ।
मैं अपनी ही उलझी हुई राहों का तमाशा
जाते हैं जिधर सब, मैं उधर क्यों नहीं जाता
- Nida fazli
रास्ता कहाँ नहीं होता ?
सिर्फ हमें पता नहीं होता ।
बाबा विश्वनाथ का आदेश सर माथे ।
मैं अपनी ही उलझी हुई राहों का तमाशा
जाते हैं जिधर सब, मैं उधर क्यों नहीं जाता
- Nida fazli