तल्खी थी बातों में ,
Sunday, 21 March 2010
झुझलाया हुआ था ,अलसाया हुआ था ;
तल्खी थी बातों में ,
Thursday, 18 March 2010
गर्दिशों का दौर कुछ इस कदर आता है ,
तकलीफें हर रोज नया रास्ता तलाश आती हैं ;
-----------------===---------------
वक़्त काट ये वक़्त भी गुजर जायेगा ,
तेरी सच्चाई का चांटा कितनो के चेहरे पे नजर आएगा ;
जिनके दिल में कालिख उनके बातों की परवा क्यूँ हो ,
अपने का नकाब पहने दुश्मन की खुदाई क्यूँ हो ;
तुझपे उछाले कीचड़ का दाग उनपे नजर आएगा ;
वक़्त काट ये वक़्त भी गुजर जायेगा /
तेरी कमियों की खोज सबब हो जिसका ,
तुझे गिराना ही सारा चरित्र हो जिनका ;
उनका व्यवहार भी सबको समझ आएगा ,
वक़्त काट ये वक़्त भी गुजर जायेगा ,;
मनुष्य का भाग्य जब बदल जाता है ,
मुंशिफ बन जाये राजा ज्ञानी धूल खाता है;
वर्षों की मेहनत पल में खाक बन जाती है ;
राह चलते को मिटटी में दौलत नजर आ जाती है ;
वक़्त काट ये वक़्त भी गुजर जायेगा ,
तेरी सच्चाई का चांटा कितनो के चेहरे पे नजर आएगा /
----------==========-------------
ताशकंद संवाद: उज़्बेकिस्तान से प्रकाशित पहली ई पत्रिका
https://tashkantsamvad.blogspot.com/?m=1 साथियों , आप के साथ यह खबर साझा करते हुए खुशी हो रही है कि उज़्बेकिस्तान, ताशकंद से हिन्दी की पहली ...

-
अमरकांत की कहानी -डिप्टी कलक्टरी :- 'डिप्टी कलक्टरी` अमरकांत की प्रमुख कहानियों में से एक है। अमरकांत स्वयं इस कहानी के बार...
-
कथाकार अमरकांत : संवेदना और शिल्प कथाकार अमरकांत पर शोध प्रबंध अध्याय - 1 क) अमरकांत : संक्षिप्त जीवन वृत्त ...